2 comments:

Unknown said...

आँखों में लहराता सागर
ह्रदय में प्रेम का स्पंदन
बारम्बार नमन
तेजी सा तेज है मुख पर
हरि जैसा आपका सरल है मन
बारम्बार नमन
संघर्ष किया बने नायक
सुह्रदय ने बनाया महानायक
सुस्वभाव से है आप मिलेनियम
बारम्बार नमन
आपको प्रणाम बहुत प्यार और
चरण स्पर्श

Unknown said...

मेरी भक्ति भाव से प्रगट हुए भगवान '
जो भी तुझे चाहिए मांग ले वरदान '
वंदन कर हमने कहा हे प्रभु ये कीजिये
अब मुझे किसी जनम में न बनाना इन्सान '
वे बोले पागल कोई कोई में ही इंसानियत होती है
ये बहुत तप और संघर्ष के बाद मिलती है
तब बनता है एक इन्सान और होता है महान
आप सदा हर सदी के महानायक रहे
अब यही वरदान प्रभु से मांग रहे
इंसानियत की मिसाल आप और नेक इन्सान
सदी के महानायक को मेरा सप्रेम है प्रणाम ;;
[विनय करहु दोउ कर जोरे ;क्षमहु तात सब अवगुन मोरे ]